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जिंदा रहने को भी लाज़िम है सहारा कोई काश मिल जाए

जिंदा रहने  को भी  लाज़िम है सहारा कोई
काश मिल जाए ग़म-ए-हिज्र का मारा कोई

कैसे जानोगे  की रातों का  तड़पना क्या है
तुम से बिछड़ा जो नहीं जान से प्यारा कोई

©Mehfil-e-Mohabbat
  ✍️♥️ आसमां फ़राज़ ♥️✍️

✍️♥️ आसमां फ़राज़ ♥️✍️ #शायरी

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