वो लड़ती है समय से,और उसकी हार होती है । हमारे गांव में, मिट्टी की एक दीवार रोती है ।। बूढ़े माँ-बाप को मंदिर में ,जाकर छोड़ देते हैं । बड़े खुदगर्ज है,खुदगर्जियाँ हर बार होती है ।। अमीरों को निवाले चंद सिक्कों से नही मिलते । हमारे खूं-पसीने से फसल तैयार होती है ।। मेरी मेहनत में माँ, अपनी दुवाएँ घोल देती है । तभी तूफ़ान से कश्ती हमारी पार होती है ।। सुल्तान मोहित बाजपेयी.. ..................... #NojotoHindi #Nojoto #EmotionalHindiQuotestatic #NojotoWodHindiQuotestatic #Quotes #Shayari #Poetry