मैं करती रहीं #इंतज़ार उसका हाथों में #गुलाब लेके
मगर वों कमबख़्त मगशूल रहा किसी गैर को #बांहों में लेके
देखकर ये #मंज़र मुझसे रहा न गया
और ख़ुद का #क़त्ल कर लिया मैंने
खंज़र सीने में लेके
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#शायरी