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तारीफ़ सुनना अपनी रुस्वाई लगती है इसमें उन्हें क्या

तारीफ़ सुनना अपनी रुस्वाई लगती है
इसमें उन्हें क्या भला कोई बुराई लगती है,

वायदे अब किसी से करते नहीं दिल दुखता है 
चोट गहरें हैं हमें इसमें बेवफाई लगती है|

काले घेरें भीगी आँखें और ये सफक कैसे
मानूस हो इसके,किसी ने नींद चुराई लगती है|

तारीफ़ सुनना अपनी रुस्वाई लगती है इसमें उन्हें क्या भला कोई बुराई लगती है, वायदे अब किसी से करते नहीं दिल दुखता है चोट गहरें हैं हमें इसमें बेवफाई लगती है| काले घेरें भीगी आँखें और ये सफक कैसे मानूस हो इसके,किसी ने नींद चुराई लगती है| #Poetry #ghazal #Shayari #mohabbat #audiostory

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