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जाने किसकी दुआओं से जी रहा हूँ मैं ज़हर ये ज़िंदग

जाने किसकी दुआओं से जी रहा हूँ मैं 
ज़हर ये ज़िंदगी का रोज़ पी रहा हूँ मैं 
दामने ज़ीस्त तो हमेशा ही से चाक रहा
हूँ पुर उम्मीद इसे फिर भी सी रहा हूँ मैं 
प्यास बुझती भी मेरी तो किस तरह बुझती
तमाम उम्र सराबों में ही रहा हूँ  मैं 
हूँ मुत्मयिन कि अब हश्र कुछ भी हो मेरा
हूँ बेख्याल कि बेमाने जी रहा हूँ मैं
मेरी तारीक ज़िंदगी का कोई जश्न तो हो
कि तीरगी के करीब भी रहा हूँ मैं 
समर से और क्या उम्मीद है ज़माने को
कभी ज़माने का होकर नही रहा हूँ मैं #NojotoQuote
जाने किसकी दुआओं से जी रहा हूँ मैं 
ज़हर ये ज़िंदगी का रोज़ पी रहा हूँ मैं 
दामने ज़ीस्त तो हमेशा ही से चाक रहा
हूँ पुर उम्मीद इसे फिर भी सी रहा हूँ मैं 
प्यास बुझती भी मेरी तो किस तरह बुझती
तमाम उम्र सराबों में ही रहा हूँ  मैं 
हूँ मुत्मयिन कि अब हश्र कुछ भी हो मेरा
हूँ बेख्याल कि बेमाने जी रहा हूँ मैं
मेरी तारीक ज़िंदगी का कोई जश्न तो हो
कि तीरगी के करीब भी रहा हूँ मैं 
समर से और क्या उम्मीद है ज़माने को
कभी ज़माने का होकर नही रहा हूँ मैं #NojotoQuote