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दाग़ दामन पर लगे मिटते नहीं हैं ! ज़ख्म हैं ऐ

दाग़  दामन  पर लगे  मिटते नहीं  हैं !
ज़ख्म हैं  ऐसे कि अब रिसते  नहीं हैं !

है  अनोखी  दास्ताँ  अपनी   यहाँ   तो,
अश्क़ आँखों के कभी दिखते नहीं हैं !
दाग़  दामन  पर लगे  मिटते नहीं  हैं !
ज़ख्म हैं  ऐसे कि अब रिसते  नहीं हैं !

है  अनोखी  दास्ताँ  अपनी   यहाँ   तो,
अश्क़ आँखों के कभी दिखते नहीं हैं !
ankitdubey2381

Ankit Dubey

New Creator