दाग़ दामन पर लगे मिटते नहीं हैं ! ज़ख्म हैं ऐसे कि अब रिसते नहीं हैं ! है अनोखी दास्ताँ अपनी यहाँ तो, अश्क़ आँखों के कभी दिखते नहीं हैं !