घर से निकल कर घर को लौट आता हूँ, हर रोज निकलता हूं मुस्तकबिल की तलाश मे हर रोज ही राहे सफर छोड़ आता हूँ घर से निकलने ही नही देती माँ बाप गाँव गली की मोहब्बत हर बार मंजिल से राब्ता तोड़ आता हूँ हर बार बस घर से निकल कर घर को लौट आता हूँ मारुफ आलम घर को लौट आता हूँ/शायरी