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Alone मेरे खामोश लबों के हिलने से तेरी आवाज़ आई ।

Alone   मेरे खामोश लबों के हिलने से
तेरी आवाज़ आई ।
सच कहता हूँ उस पल तेरी,
बहुत याद आई ।

पत्तों की सरसराहट से
दिल में कहीं हलचल हुई ।
वृष्टि ने होकर निरंतर
मन में तेरी प्यास जगाई,
उस पल तेरी बहुत याद आई ।।

जब कभी बच्चों को, लड़ते हुए देखा मैंने
जब कभी युगलों को, प्रेमपाश में देखा मैंने
जब कभी यशोदा को, कृष्ण को छूते देखा
जब कभी भँवरे को , पुष्प पर बैठे देखा

क्या कहूँ उस पल मैंने, तुझको हीं आवाज़ लगाई
तेरी उस पल , हद से ज्यादा
बहुत से ज़्यादा बहुत याद आई ।। मेरे खामोश लबों के हिलने से
तेरी आवाज़ आई ।
सच कहता हूँ उस पल तेरी,
बहुत याद आई ।

पत्तों की सरसराहट से
दिल में कहीं हलचल हुई ।
वृष्टि ने होकर निरंतर
Alone   मेरे खामोश लबों के हिलने से
तेरी आवाज़ आई ।
सच कहता हूँ उस पल तेरी,
बहुत याद आई ।

पत्तों की सरसराहट से
दिल में कहीं हलचल हुई ।
वृष्टि ने होकर निरंतर
मन में तेरी प्यास जगाई,
उस पल तेरी बहुत याद आई ।।

जब कभी बच्चों को, लड़ते हुए देखा मैंने
जब कभी युगलों को, प्रेमपाश में देखा मैंने
जब कभी यशोदा को, कृष्ण को छूते देखा
जब कभी भँवरे को , पुष्प पर बैठे देखा

क्या कहूँ उस पल मैंने, तुझको हीं आवाज़ लगाई
तेरी उस पल , हद से ज्यादा
बहुत से ज़्यादा बहुत याद आई ।। मेरे खामोश लबों के हिलने से
तेरी आवाज़ आई ।
सच कहता हूँ उस पल तेरी,
बहुत याद आई ।

पत्तों की सरसराहट से
दिल में कहीं हलचल हुई ।
वृष्टि ने होकर निरंतर
arsh1145292537229

Arsh

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मेरे खामोश लबों के हिलने से तेरी आवाज़ आई । सच कहता हूँ उस पल तेरी, बहुत याद आई । पत्तों की सरसराहट से दिल में कहीं हलचल हुई । वृष्टि ने होकर निरंतर #Love #poem #kavita #alone #Arsh

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