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#OpenPoetry मेरा ख्वाब बहुतों के मंजिल थे ,किसी

#OpenPoetry    मेरा ख्वाब बहुतों के मंजिल थे ,किसी को मिला तो नहीं। 
मैं तकल्लुफ़ क्यों करूँ, सबका मेरे तरह हौसला तो नहीं ।

जिंदगी के भीतर आग तो सुलगा दिया जन-ए-जां ने ही 
जो टला नहीं,मैं बेशर्म बाहर आ गया पर जला तो नहीं l 

इन्तज़ार तो बहुत है मंजर-ए-ऐश-ए-जिंदगी का, सच्च है
अभी मिला नहीं पर अभी जींदगी भी निकला तो नहीं।

वो इक शाख्स नहीं है बांकी सुकून-ए-रफ़ाकत सर-बसर,
जबकि ठीक से सम्भला भी नहीं पर मैं फिसला तो नहीं ।

रास्ता रोका बे-तरह ख्याल-ए-यार ने जो हमसे हिला नहीं       पर अपने अंदर से गुज़र गया मंजिल अपना बदला तो नहीं l #_तो_नहीं
#मैं
#nojoto
#gajal
Babul Kumar 
soni kumari
#OpenPoetry    मेरा ख्वाब बहुतों के मंजिल थे ,किसी को मिला तो नहीं। 
मैं तकल्लुफ़ क्यों करूँ, सबका मेरे तरह हौसला तो नहीं ।

जिंदगी के भीतर आग तो सुलगा दिया जन-ए-जां ने ही 
जो टला नहीं,मैं बेशर्म बाहर आ गया पर जला तो नहीं l 

इन्तज़ार तो बहुत है मंजर-ए-ऐश-ए-जिंदगी का, सच्च है
अभी मिला नहीं पर अभी जींदगी भी निकला तो नहीं।

वो इक शाख्स नहीं है बांकी सुकून-ए-रफ़ाकत सर-बसर,
जबकि ठीक से सम्भला भी नहीं पर मैं फिसला तो नहीं ।

रास्ता रोका बे-तरह ख्याल-ए-यार ने जो हमसे हिला नहीं       पर अपने अंदर से गुज़र गया मंजिल अपना बदला तो नहीं l #_तो_नहीं
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vivekvishu6088

Vivek Vishu

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