गज़ब दुनिया।। बड़ी गज़ब दुनिया है भैया, गदहा ज्ञान बताता है, ज्ञान पड़ा कोने में सड़ता, धन ही मान बढ़ाता है। चौखट चौखट आवाज़ है लगती, दिन तेरे फिरने वाले हैं, बातों से आज मैं दे दूं छतरी, फिर ओले गिरने वाले हैं। लोकतंत्र का पर्व अनोखा, वादों की लड़ी लगाई है, पांच साल से टिक टिक करती, फिर से घड़ी जगाई है। आज मैं उनका वो मेरे, एक दिन रिश्ता निभ पायेगा, आज लगाया हमने अंगूठा, ये नेता कल बिक जाएगा। बड़ी सरल गिनती इनकी, हम बूंदों में बिखरे मिलते हैं, गागर में भर सागर ये, फिर निखरे निखरे मिलते हैं। जो आज कहुँ तुमको सच मैं, तो दुश्मन मैं कहलाऊंगा, एक दिन के विद्व बने तुम, पोंगा पंडित मैं बन जाऊंगा। तुम जागे हो तो फिक्र नहीं, गर सोये तुम्हे जगाऊंगा, जो सोने का ढोंग किया, फिर काम तेरे न आऊंगा। पेट से ऊपर माथा तेरा, सोच जरा तू अक्ल लगा, तुझमे पशु में अंतर क्या फिर, मानव का तू शक्ल जगा। शब्द मेरे तो चुभते होंगे, दिल चीर पार हो जाएंगे, जिनको तू कांटे समझ रहा, कल तीर यार हो जाएंगे। ©रजनीश "स्वछंद" गज़ब दुनिया।। बड़ी गज़ब दुनिया है भैया, गदहा ज्ञान बताता है, ज्ञान पड़ा कोने में सड़ता, धन ही मान बढ़ाता है। चौखट चौखट आवाज़ है लगती,