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  हर बार मैं निकलता हूं,आखिरी मिलने कि सो









हर बार मैं निकलता हूं,आखिरी मिलने कि  सोच कर,कह देते हैं,परिजन सलामती का खत लिखना पहुंच कर...!
मैं बेरोजगारी से त्रस्त था,हालातों से पस्त था,पकड़ ली सेना की नौकरी,क्योंकि गरीबी का आलम जबरदस्त था...!!
🙏सैनी🙏






 #mohabbat








हर बार मैं निकलता हूं,आखिरी मिलने कि  सोच कर,कह देते हैं,परिजन सलामती का खत लिखना पहुंच कर...!
मैं बेरोजगारी से त्रस्त था,हालातों से पस्त था,पकड़ ली सेना की नौकरी,क्योंकि गरीबी का आलम जबरदस्त था...!!
🙏सैनी🙏






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