किसके साथ बिताऊँ यह सुबह की सूरज भी नाराज़ है,,, हाथ ठंडे हुए पड़े है आज बिगड़ा हवाओ का मिज़ाज़ है,, नजाने किसने बनाई है आज चाय में कड़वाहट का स्वाद है,, उठ तो गयी हूँ अब नींद से फिर आँखो में किसका ख्बाब है,, किसी से क्या बात करूं मेरा दिलबर हमजूबा चुपचाप है,, मैं उसमें गुम रहती हूँ वो किताबो में मुझे बस इस बात का संताप है,, #nojoto #kavita smita ✍️ishu