प्रेम में.. पहले बदन के हिस्से आती है मजदूरी फिर सांसों को दिहाड़ी पर रखा जाता है : और एक दिन न मजदूर बचता है न उसकी मजदूरी.. बचता है तो बस प्रेम मजदूर के फावड़े की तरह. / ~नीरज ©neerajthepoet प्रेम में.. पहले बदन के हिस्से आती है मजदूरी फिर सांसों को दिहाड़ी पर रखा जाता है : और एक दिन न मजदूर बचता है न उसकी मजदूरी.. बचता है तो बस प्रेम मजदूर के फावड़े की तरह. /