"पूछते है वो, कि हमारे क्या हाल रहते है,
चलो कह देते है तुम्हारे ही खयाल रहते है,
कहना तो बहुत कुछ है पर सामने आने पर तेरे,
इस दिल-ए-नादां मे ना कोई सवाल रहते है।।
डूबना चाहते है आँखो के ख्वाब में तेरे,
कमबख्त किनारों पर ही नजरों के जाल रहते है।।
वो तेरा नज़रे चुराना, पलकें गिराना,
नखरे भी तुम्हारे कमाल रहते है।
आए दिन महफ़िल में वाह बटोरकर,
शायर मोहब्बत में हर शाम कंगाल रहते है।।
क्या हाल बताये तुम्हें हाल में अपने,
हम हाल में भी अब बेहाल रहते है।।"