Nojoto: Largest Storytelling Platform

कहर मुझपे ढायी किसने ऐसे फ़कत दर फ़कत रो रही है र

कहर मुझपे ढायी किसने ऐसे 
फ़कत दर फ़कत रो रही है रूह मेरी
ना जाने कैसी सितम्ब मेरे अंनजुमन को है गीरी  
पल में दरीया पल में प्रलय भीगने तक को कुछ नहीं..

""Aa-Sunle - Zara""
                               Mukesh rishi  कहर मुझपे ढायी किसने ऐसे 
फ़कत दर फ़कत रो रही है रूह मेरी
ना जाने कैसी सितम्ब मेरे अंनजुमन को है गीरी  
पल में दरीया पल में प्रलय भीगने तक को कुछ नहीं..

""Aa-Sunle - Zara""
                               Mukesh rishi
कहर मुझपे ढायी किसने ऐसे 
फ़कत दर फ़कत रो रही है रूह मेरी
ना जाने कैसी सितम्ब मेरे अंनजुमन को है गीरी  
पल में दरीया पल में प्रलय भीगने तक को कुछ नहीं..

""Aa-Sunle - Zara""
                               Mukesh rishi  कहर मुझपे ढायी किसने ऐसे 
फ़कत दर फ़कत रो रही है रूह मेरी
ना जाने कैसी सितम्ब मेरे अंनजुमन को है गीरी  
पल में दरीया पल में प्रलय भीगने तक को कुछ नहीं..

""Aa-Sunle - Zara""
                               Mukesh rishi

कहर मुझपे ढायी किसने ऐसे फ़कत दर फ़कत रो रही है रूह मेरी ना जाने कैसी सितम्ब मेरे अंनजुमन को है गीरी पल में दरीया पल में प्रलय भीगने तक को कुछ नहीं.. ""Aa-Sunle - Zara"" Mukesh rishi #Poetry