अपना और पराया किसानो के बेटो को किसानो के लिए आवाज़ उठाने में शर्म आती है और राजनैतिक लोगो के जैकारो में नहीं खुद्दार बनो खुद्दार बनो गुलाम नहीं जमीदार सच बोलना मेरी आदत ही नहीं मेरी फितरत है