कभी फ़ुरसत मिले, तो आना, हमारी महफ़िल में।. पर हम से शायरी की उम्मीद मत रखना, जनाब....... हम शायरी नहीं, दर्द-ए-इश्क़ सुनाते हैं। कभी फ़ुरसत मिले, तो आना, हमारी महफ़िल में।. पर हम से शायरी की उम्मीद मत रखना, जनाब....... हम शायरी नहीं, दर्द-ए-इश्क़ सुनाते हैं।