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कभी फ़ुरसत मिले, तो आना, हमारी महफ़िल में।. पर हम

कभी फ़ुरसत मिले,
तो आना, 
हमारी महफ़िल में।. 
पर हम से शायरी की उम्मीद मत रखना,
जनाब....... 
हम शायरी नहीं,
दर्द-ए-इश्क़ सुनाते हैं। कभी फ़ुरसत मिले,
तो आना, 
हमारी महफ़िल में।. 
पर हम से शायरी की उम्मीद मत रखना,
जनाब....... 
हम शायरी नहीं,
दर्द-ए-इश्क़ सुनाते हैं।
कभी फ़ुरसत मिले,
तो आना, 
हमारी महफ़िल में।. 
पर हम से शायरी की उम्मीद मत रखना,
जनाब....... 
हम शायरी नहीं,
दर्द-ए-इश्क़ सुनाते हैं। कभी फ़ुरसत मिले,
तो आना, 
हमारी महफ़िल में।. 
पर हम से शायरी की उम्मीद मत रखना,
जनाब....... 
हम शायरी नहीं,
दर्द-ए-इश्क़ सुनाते हैं।

कभी फ़ुरसत मिले, तो आना, हमारी महफ़िल में।. पर हम से शायरी की उम्मीद मत रखना, जनाब....... हम शायरी नहीं, दर्द-ए-इश्क़ सुनाते हैं। #स्नेह

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