वो पंछी की तरह उड़ना चाहता है अपने ही हाल में जीना चाहता है | ना हो किसी की खबर उसे, बस अपने में ही, मस्त रहना चाहता है | खुद को पाने की इतनी बेताबी है, की अकेले में ही खुद को जानना चाहता है | हर मुश्किल से लड़कर अब, खुद ही अपनी चलाना चाहता है | वजूद अपना बनाकर के, अब सब में अपनी पहचान बनाना चाहता है | By:-Akshita Jangid (poetess) पंछी