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है मुझको मालूम, हवाएँ ठीक नहीं हैं क्योंकि दर्द के

है मुझको मालूम, हवाएँ ठीक नहीं हैं
क्योंकि दर्द के लिए दवाएँ ठीक नहीं हैं
गजलें भी अपनी राग सुनाती रही मगर
असर मेरी जख्मों पे बिल्कुल ठीक नही हैं ।

वैसे, जो सबके उसूल, मेरे उसूल हैं
लेकिन ऐसे भी नहीं कि बिल्कुल फिजूल हैं
तय है ऐसी हालत में, कुछ घाटे होंगे-
लेकिन ऐसे सब घाटे मुझको क़बूल हैं।

बातें भी ऐसी है अब  सही नही जाती है,
मुँह देखे की भी है पर कही नही जाती है
मैं कैसे उनसे, प्रणाम के रिश्ते जोडूँ-
जिनकी नाव पराए घाट ही बही जाती है । #दिलकीबात
है मुझको मालूम, हवाएँ ठीक नहीं हैं
क्योंकि दर्द के लिए दवाएँ ठीक नहीं हैं
गजलें भी अपनी राग सुनाती रही मगर
असर मेरी जख्मों पे बिल्कुल ठीक नही हैं ।

वैसे, जो सबके उसूल, मेरे उसूल हैं
लेकिन ऐसे भी नहीं कि बिल्कुल फिजूल हैं
तय है ऐसी हालत में, कुछ घाटे होंगे-
लेकिन ऐसे सब घाटे मुझको क़बूल हैं।

बातें भी ऐसी है अब  सही नही जाती है,
मुँह देखे की भी है पर कही नही जाती है
मैं कैसे उनसे, प्रणाम के रिश्ते जोडूँ-
जिनकी नाव पराए घाट ही बही जाती है । #दिलकीबात