ख़्वाब हम देखा करतें थे, अरमां वो पूरा कर रहे हैं। चाहते थे हम, खुद को जिनके बांहों में, वो गैरों को बांहों में भर रहें हैं...... £b💓दिल से दिल तक राधेकृष्णा #ख़ाब #ख़ाब