वो अपने फन का फ़नकार बड़ा है लोग ये कहे कि ईमानदार बड़ा है बांटता फिरता है इल्म की दौलत दुनिया ये समझे मालदार बड़ा है पैसे न इज्ज़त न ताकत का भरम रख इस ज़माने में तो बस किरदार बड़ा है उसकी मासूमियत पे कौन न मर मिटे अपनी महफ़िल का वो अदाकार बड़ा है खुदा खुद ही करता है उस घर की हिफाज़त जिस दर का मुलाजिम वफ़ादार बड़ा है तरक़्क़ी कौन रोकेगा भला मेरे बस्ती की 'मुमताज़'मेरा हाकिम जिम्मेदार बड़ा है #मेरी नई ग़ज़ल# फनकार बड़ा है