Nojoto: Largest Storytelling Platform

ओंस की बूँद चेहरे पर पड़ रही थी। थी बो क्या सकूण जो

ओंस की बूँद चेहरे पर पड़ रही थी। थी बो क्या सकूण जो तन मन में मचल रही थी, इससे पहले 
मेरा मन इतना न कभि हरषाई थी, कूदरत की इतनी प्यारी संपर्क कभि न मैंने पाई थी #कवित,#nature,#nojoto,#poetry
ओंस की बूँद चेहरे पर पड़ रही थी। थी बो क्या सकूण जो तन मन में मचल रही थी, इससे पहले 
मेरा मन इतना न कभि हरषाई थी, कूदरत की इतनी प्यारी संपर्क कभि न मैंने पाई थी #कवित,#nature,#nojoto,#poetry
Home
Explore
Events
Notification
Profile