तेरी धरोहर को, ऐ धरती माँ.. हर इंसान ने उजाड़ दिया.. नया युग कह- कह कर, हर जुर्म वक्त पर डाल दिया... आज हर अल्फाज बच्चों के, तुच्छ भाषा से व्यक्त होती है, और कुछ मर्दो की आँखों से तो सिर्फ हैवानियत झलकती है, ऐ धरती माँ, ये बात जानकार तू खुद से भी घबराएगी, इस धरती की लाज बेचकर दुनिया ख़ुशी से खायेगी, माँ इस युग को सब कलयुग कहकर अपना राज चलाएगी.. # धरती माँ plzz इस कविता को गलत तरीके से मत लेना..