Nojoto: Largest Storytelling Platform

मैं घर की ओर निकल रहा हूँ, बचपन की बिताई उन गलियों

मैं घर की ओर निकल रहा हूँ,
बचपन की बिताई उन गलियों में जैसे मचल रंहा हूँ।
उन गलियों  में एक बार फिर दिल चहक जाएगा,
मानो ये दिल दुनिया भूल कर सिर्फ बहक जाएगा।
कुछ आरजू नही है अभी पाने की बस आरजू है घर पहुच जाने की,
दो कलियां थी मेरे घर मे,एक माली ले गया ।
पर वो खुशियां ढेर सारी दे गया गया।
मैं एक बार फिर घर की ओर निकल रहा हूँ...... Return our home after 3 month!!!!!!!
मैं घर की ओर निकल रहा हूँ,
बचपन की बिताई उन गलियों में जैसे मचल रंहा हूँ।
उन गलियों  में एक बार फिर दिल चहक जाएगा,
मानो ये दिल दुनिया भूल कर सिर्फ बहक जाएगा।
कुछ आरजू नही है अभी पाने की बस आरजू है घर पहुच जाने की,
दो कलियां थी मेरे घर मे,एक माली ले गया ।
पर वो खुशियां ढेर सारी दे गया गया।
मैं एक बार फिर घर की ओर निकल रहा हूँ...... Return our home after 3 month!!!!!!!