भरोसा रख खुद पर आत्मविश्वास को खुद में से मिटा मत ठोकरों से ऐसे खुद को टूटने ना दे मंजिलो को तेरी अभी भी इंतज़ार हैं तेरा ऐसे निशा के अंधेरो में खुद को जाया न कर चलता जा बस चलता जा तू उन पहाड़ो से भी भिड़ता जा तू भरोसा यूँ ही खुद में भरता जा त नदी के बहाव से ऐसे घबरा मत तू उसमे डूब के तैरता जा तू बस कांटो का अफ़सोस मत कर तू ए राहगीर आगे उस फूलो से सजा हैं बाग उसको याद रख तू ऐसे बस खुद को पत्थर का बनता जा तू खुद को ऐसे ही संभालता जा तू भरोसा रख खुद पर आगे यूं ही बढ़ता जा तू भरोसा