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सवाल तो बहुत है मगर, अब उन सवालों का जवाब नहीं चा

सवाल तो बहुत है मगर, 
अब उन सवालों का जवाब नहीं चाहता।
हैरान-परेशान बैठा गम के समंदर में,
उन लहरों से अब कोई किनारा नहीं चाहता।।

आजमाइश बहुत की खुद को आजमाने की,
अब किसी तरह की कोई उम्मीद नहीं चाहता।
ढक कर रख दिया कहीं अरमान ढेरों,
अब उनकी जरूरत महसूस करना नहीं चाहता।।

हर फिक्र पर अब कोई जिक्र क्या करना,
बेवजह की ख्वाहिशें पास धरना नहीं चाहता।
जीते जिंदगी खुशहाल अपनी धुन में खुश होकर,
 फिक्र किसी जमाने की अब करना नहीं चाहता।।
सवाल तो बहुत है मगर, 
अब उन सवालों का जवाब नहीं चाहता.....

©Yogendra Nath Yogi
  #सवाल बहुत है मगर..….

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