इक नई नज़्म "मैं हाँ मैं" " मैं " हाँ मैं ! उठूँगा कल सवेरे सवेरे में । हाँ कल उठना है और ऐसा उठना है कि सब परेशानियां बोनी हो जाये,,,,,, जाना है हाँ जाना है कल काम पे जाना है और काम को इस कदर पूरा करना है कि दीवाना हो जाये वो मेरा ,,,,, हर रोज़ नये - नये लिवास में तरसे मुझसे मिलने को , हर रोज़ नई- नई नौटंकी करे ताकि मैं उसे मुक़म्मल कर सकूँ,,,,,, मटकता , झूमता , उछलता और कूदता दिन ऐसे गुज़रे कि दिन भी हैरान हो जाए कि किसी ने क्या ख़ूब जिया है मुझे के मैं लाजवाब हो गया हूँ ,,,,,, शाम आँखें बिछाए किसी महबूब सी बैठी हो मेरे इन्तज़ार में ,,,,,, जैसे दोपहर तरस जाती है कि मेरे साथ दो निवाले निगल ले ये ,,,,,, शाम की मोहब्बत तो देखो बार बार चाय गरम करती है मेरे इन्तज़ार में कि आऊँगा मैं,,,,,,, पर मैं तो अपनी मस्ती में मस्त काम में ऐसा गोता लगाया कि सुबह से शाम हो गई पर साँस न टूटी ,,,,,, रात को मिलूँगा ज़रा देर से सुना है इन्तज़ार करवाने वाले लोग बड़े होते है ,,,,, जब मिला रात को तो इस कदर आके लिपट गई मुझसे के कभी खत्म नहीं होगी पर उसे क्या पता कि मैं तो मज़दूर हूँ कल फिर काम पे जाना है,,,, " मैं " हाँ मैं ! कल उठूँगा कल सवेरे सवेरे मैं ,,,,,,,,, ©️✍️ सतिन्दर नज़्म मैं हाँ मैं #kuchलम्हेंज़िन्दगीke #satinder#सतिन्दर #नज़्म Paayal Vashisht