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मैं दिन हूं तो तुम रात हो । मै तपता हुआ गरमी सा, त

मैं दिन हूं तो तुम रात हो ।
मै तपता हुआ गरमी सा, तुम सुकून देने वाली बरसात हो 
मै अधूरी शायरी सा ,तुम पूरी किताब की बात हो 
मै बदरंग सा , तुम बहुत ही सुंदर रंग हो  
दूर होकर भी हमेशा मेरे संग हो ।
मै बिखरी हुई जिंदगी ,तुम जीने की ढंग हो ।
मै मृत्यु सा ,तुम जीवन की अटूट अंग हो ।
मै सुबह का हरिओम हूं ,तुम दिन भर की खुशी की उमंग हो 
मै साइंस से परेशान ,तुम कॉमर्स से तंग हो ।
मै देर हूं,तुम विलंब हो ।
 मस्त हूं ,तो तुम मलंग हो । #लव
मैं दिन हूं तो तुम रात हो ।
मै तपता हुआ गरमी सा, तुम सुकून देने वाली बरसात हो 
मै अधूरी शायरी सा ,तुम पूरी किताब की बात हो 
मै बदरंग सा , तुम बहुत ही सुंदर रंग हो  
दूर होकर भी हमेशा मेरे संग हो ।
मै बिखरी हुई जिंदगी ,तुम जीने की ढंग हो ।
मै मृत्यु सा ,तुम जीवन की अटूट अंग हो ।
मै सुबह का हरिओम हूं ,तुम दिन भर की खुशी की उमंग हो 
मै साइंस से परेशान ,तुम कॉमर्स से तंग हो ।
मै देर हूं,तुम विलंब हो ।
 मस्त हूं ,तो तुम मलंग हो । #लव