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हिंदी से उत्पन्न हुई हो तुम हिंदवी कहलाती हो।

हिंदी से उत्पन्न हुई हो 
तुम हिंदवी कहलाती हो।                                                    अपने एक रूप ब्रजभाषा में तुम
 सबके मन को भाती हो।।
                                                                              अवधी में तुलसी ने गाया
 रामचरित को सबने पाया।                                                     उपकार किया है तुमने सब पर
 कवित्व मुझ में न उपजाया ।

 बता तेरा क्या घट जाता 
यदि मैं भी कवि बन जाता।
तुलसी की तरह ना पढता कोई मुझे,
 मगर में आत्म संतोष तो पाता ।।

मैं कवि तो बन न पाया,
गुणगान तेरा कर न पाया ।
फिर भी गर्व करता हूं मैं,
 तुमने मुझे हिंदुस्तानी बनाया।।
 
                                                    विद्यार्थी अमितोपाध्यायः हिन्दी  Prakash Mishra शुभम पाल Akash Rajput
हिंदी से उत्पन्न हुई हो 
तुम हिंदवी कहलाती हो।                                                    अपने एक रूप ब्रजभाषा में तुम
 सबके मन को भाती हो।।
                                                                              अवधी में तुलसी ने गाया
 रामचरित को सबने पाया।                                                     उपकार किया है तुमने सब पर
 कवित्व मुझ में न उपजाया ।

 बता तेरा क्या घट जाता 
यदि मैं भी कवि बन जाता।
तुलसी की तरह ना पढता कोई मुझे,
 मगर में आत्म संतोष तो पाता ।।

मैं कवि तो बन न पाया,
गुणगान तेरा कर न पाया ।
फिर भी गर्व करता हूं मैं,
 तुमने मुझे हिंदुस्तानी बनाया।।
 
                                                    विद्यार्थी अमितोपाध्यायः हिन्दी  Prakash Mishra शुभम पाल Akash Rajput