सालों से पिंजरे में बंद, आजाद हुए वह, पंछी कैसे आसमान में उड़े, देखो तो जरा। भटक गए थे रास्ता और अब वही, कैसे मंजिल पर मुड़े, देखो तो जरा। नदी बनकर पहाड़ों से आगे बढ़ते, झरने कैसे नीचे गिरे, देखो तो जरा। जिंदगी के सागर में लगाई जो डुबकी, रिश्तोके कैसे मोती मिले, देखो तो जरा। बढ़ाते रहें हम जिंदगी भर आगे जिन्हें वो, आज हमसे ही उलझ पड़े, देखो तो जरा। रिश्तो के बंधन में फंसने लगें लोग तो, आपस में कैसे लड़ पड़े, देखो तो जरा। - झरना दायमा 📝 #nojoto #hindi #poetry #Dekhotojara