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कहीं मैं मदारी हूँ, कहीं मैं बंदर हूँ, कहीं मैं मू

कहीं मैं मदारी हूँ, कहीं मैं बंदर हूँ,
कहीं मैं मूर्ख हूँ, कहीं मैं धुरंधर हूँ,
जिसने जैसे चाहे, नाम रख दिए,
सच तो ये है कि मैं, मस्त कलंदर हूँ।।

      -----प्रभजीत सिंह 'परम'
कहीं मैं मदारी हूँ, कहीं मैं बंदर हूँ,
कहीं मैं मूर्ख हूँ, कहीं मैं धुरंधर हूँ,
जिसने जैसे चाहे, नाम रख दिए,
सच तो ये है कि मैं, मस्त कलंदर हूँ।।

      -----प्रभजीत सिंह 'परम'