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वक्त ने जंजीरों से कुछ इस कदर जकड़ा है क्या बताऊ

वक्त ने जंजीरों से 
 कुछ इस कदर जकड़ा है
 क्या बताऊँ ... 
न दिन का होश 
न रात का .....

पता नही ,
 अब हक़ है 
या नही.......
पर आज भी 
तेरी परवाह या
 तेरे बारे में सोचना 
 अच्छा लगता है..

अपनी यादों से कहो 
इक दिन की 
छुट्टी दें दें मुझे.......
 इश्क के हिस्से में
 कम से कम 
 इतवार का सकून तो 
होना ही चाहिये ....

🤔#निशीथ🤔

©Nisheeth pandey वक्त ने जंजीरों से 
 कुछ इस कदर जकड़ा है
 क्या बताऊँ ... 
न दिन का होश 
न रात का .....

पता नही ,
 अब हक़ है
वक्त ने जंजीरों से 
 कुछ इस कदर जकड़ा है
 क्या बताऊँ ... 
न दिन का होश 
न रात का .....

पता नही ,
 अब हक़ है 
या नही.......
पर आज भी 
तेरी परवाह या
 तेरे बारे में सोचना 
 अच्छा लगता है..

अपनी यादों से कहो 
इक दिन की 
छुट्टी दें दें मुझे.......
 इश्क के हिस्से में
 कम से कम 
 इतवार का सकून तो 
होना ही चाहिये ....

🤔#निशीथ🤔

©Nisheeth pandey वक्त ने जंजीरों से 
 कुछ इस कदर जकड़ा है
 क्या बताऊँ ... 
न दिन का होश 
न रात का .....

पता नही ,
 अब हक़ है

वक्त ने जंजीरों से कुछ इस कदर जकड़ा है क्या बताऊँ ... न दिन का होश न रात का ..... पता नही , अब हक़ है #mylove #poem #hurtbroken #poetryunplugged #WoTil