प्रिय बनारस,
6 जून, 2017 ये केवल एक तारीख नहीं है। एक तरफ यह वो दिन है जब मैं यहाँ पर आखिरी बार हूँ, वहीं दूसरी तरफ यह एक नई शुरुआत लिए हुए हैं। एक तरफ तीन बरस का सुनहरा अतीत है और एक तरफ बेहतर भविष्य की योजनाएं हैं। जब मैं यहां आया था तो बस अपनी पढ़ाई का एक हिस्सा पूरा करने आया था...और...और ये आज पूरा हो चुका हैं, इसके लिए खुश हूँ।
तो फिर ऐसा क्या है जो ये सब लिखनें को मजबूर कर दे रहा???
इसके पीछे कोई एक वजह नहीं बल्कि वजहों का पूरा समूह है और वो समूह है...तुम....बनारस।
बनारस तुम मेरे लिए बस एक शहर नहीं हो। तुममें शामिल है यहाँ के घाट जिनके साथ मैंने अपना सुख-दुख, प्यार-दर्द, हंसना-रोना, सफलता-असफलता सबकुछ साझा किया है।
प्यार भी यहीं मिला हैं तो कभी दिल भी यहीं टूटा हैं।
सैकड़ो लोगो की भीड़ से घिरा यहाँ पर नुक्कड़ भी किया है,वहीं बहुत बार घाट की सीढ़ियों पर बैठकर सारी रात अकेले ही गुजार दी हैं।
तुममें शामिल है कुछ बेहतरीन और प्यारे लोग जिनसे मैं यहीं पर मिला और उनका होकर रह गया। ये लोग बनारस के ही हैं या मेरी ही तरह यहाँ पर एक छात्र के रूप में आये थे। अगर ये लोग न होते यहाँ तो मैं कभी तुम को अपना दूसरा घर नहीं कह पाता। #Books