तेरी यादों के रेले को हम अंजाम देते है (गीत) रुलाये स्याह रातो में तो अब दिल थाम लेते है तेरी जो सुध सताये तो कभी वीराने में हमको न कर बेचैन खुद को हम सबर से काम लेते है तेरी गुस्ताखियों को अब गवारा हम नही करते जो तुझसे प्यार करते थे दोबारा हम नही करते तुझे पाने की ख्वाहिश में दिया था खुद खो हमने तेरी विरह में भरते थे वो आहे अब नही भरते तेरे होने न होने का हमे अब फर्क नही पड़ता हमे युं छोड़ जाने का तेरा वो तर्क नही गड़ता पिये है विष प्याले जो जुदाई में तेरी हमने तेरे मगरूर होने का हमें अब फर्क नही पड़ता। {$umit Chouhan} खुद को आजाद हमने...