कभी बैठे जो छाँवों में तो तेरी याद आती है, सपन ना आये रातों में तो तेरी याद आती है, मुझे कुछ भी फर्क पड़ता नहीं शूलों पहाडों से, चुभे जब फूल हाथों में तो तेरी याद आती है।।