जो नजरें झुकाकर बोली जाए, वो सच्चाई नहीं होती खुद अपनी खूबियां गिनाना, अच्छाई नहीं होती मैं अलग हूं तुमसे, तुम्हें दिखाई ना दूंगा... क्योंकि जलती आग की, कोई परछाईं नहीं होती #parchai#subah#mohabbat#aag