हम लगे थे उनके लिए ख़ुशियाँ कमाने में, वो थे मसरूफ़ बड़े, हम को ही भुलाने में। जानते वो औरत से मिली ताकत, हिम्मत, फिर भी छोड़ी नहीं कमी, नीचा गिराने में। एक दिन नहीं, रोज़ सम्मान की हक़दार है, मीठे दो बोल न,लगे थे औक़ात दिखाने में। ख़ामोशियों को छोड़ो,कहे लफ़्ज़ ही सुनते, ध्यान है उनका सब्र को कमज़ोरी बताने में। सलामती की दुआ हम फिर भी करेंगे 'धुन', माहिर तो हम हैं ही सारे जज़्बात छुपाने में। ♥️ Happy Women's Day ♥️ ♥️ Challenge-501 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ इस विषय को अपने शब्दों से सजाइए।