इस सावन से उस सावन तक एक से... इक्यावन तक मौसम बदले,दिन चढ़ते गए जो थोड़े थे ,वो बढ़ते गए मगर, एक आस अधूरी है जाने कैसी होती मजबूरी है जो पास ,वही सबसे दूर है फितरत है या ,फितूर है कब तक यूँ ही ,आहें भरोगे बोल दो न ज़रा,हमसे भी प्यार ,कब करोगे #पारस #आस #प्यार #अधूरी #सावन