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ठहर सा गया, आज, फिर से, मै, यूँ ही, तेरे लबों प

ठहर सा गया,
आज, 
फिर से, 
मै, 
यूँ ही,
तेरे लबों पर...
अनकहा आगोश बन कर...

@nand raj
ठहर सा गया,
आज, 
फिर से, 
मै, 
यूँ ही,
तेरे लबों पर...
अनकहा आगोश बन कर...

@nand raj