गुर्बत के मौसम मे सौगातों से नापा गया मुझे बोलना नहीं आता था तब जब मुझे बातो से नापा गया ..!! अपनो की अमीरी मे मैं कहाँ शामिल था ? हकि़कत से दूर, इरादो से नापा गया ..!!! इतनी जलन उनके दिल मे आयी कहाँ से जाने ? मैं सोहबतो से नहीं, मुलाक़ातो से नापा गया ..!! मेरी बर्बाद सी ज़िन्दगी मे झाँको ना यारो मैं आँसुओ से नहीं, वफ़ातो से नापा गया ..!!.. मौत- ए -मुहब्बत देखूँ के देखू प्यार अपनो का ? इन फ़ैसलो मे भी मैं, तकाज़ो से नापा गया ..!!..! मेरी आँखो को बिन पढे़ बन्द हो जाना पडा़ मैं दिल से नहीं ,लिबासो से नापा गया ..!!! तुम तन्हा कहाँ सारे शहर के वादे थे मेरी लकीरी मे मुहब्बत की फ़क़ीरी मे भी ,मै ज़क़ातो से नापा गया ..!! मिरे दिल में क़ामयाब सा व्यापार था सच्चाई का मैं झूठा हो गया ,जब हालातो से नापा गया ..!!! मैं उनसा था तो मिरे शानो पे सर था उनका मैं मुझसा होते ही ,उनके इरादो से नापा गया ..!! वो समझदार थे बहुत शायद ये और बात है मै नादानी के नशे मे ,किये वादों से नापा गया ..!! मुझे नहीं आता था अपने लिये खड़ा होना जब किरदार -ए -जंग में ,क़दम की रफ़्तारो से नापा गया ...!!! जाने कहाँ खाली रह गयी मेरी मुहब्बत की ज़मी अहसासो से नहीं मै चन्द यादो से नापा गया ..!!! यकी ज़ाया हुआ दिल छन से टूटा अपनो की जन्ग मे जब ,हथियारो से नापा गया..!! लेखक -- हकी़कत ©haquikat my measurements their tools my life theie rules... #mycharacter #apnokapyaar #zindagikapal #mereshauk गुर्बत के मौसम मे सौगातों से नापा गया मुझे बोलना नहीं आता था तब