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किसी को इतना ना तड़पाओ कि वो पत्थर हो जाए किसी को

किसी को इतना ना
तड़पाओ कि वो पत्थर हो जाए
किसी को इतना ना
उलझाओ कि वो बख्तरबंद हो जाए,
किसी को इतना ना दबाओ
कि वो मिटने का खौफ ही भूल जाए,
किसी को इतना न चुभाओ,
कि उसके शरीर से खून नहीं,
आक्रोष बहने लगे,
किसी की चुप्पी को बार बार कमज़ोरी न 
समझो कि उसकी वाणी तुम्हारी
धज्जियां उड़ा दे,
किसी की इंसानियत से इतना खिलवाड़
न करो कि वो तुम्हारी हैवानियत
को कच्चा चभा जाए।।
किसी के हालातों का इतना मज़ाक न
बनाओ कि एक दिन
वक्त तुम्हारा मज़ाक बना जाए

©Akhil Kael #Dark
किसी को इतना ना
तड़पाओ कि वो पत्थर हो जाए
किसी को इतना ना
उलझाओ कि वो बख्तरबंद हो जाए,
किसी को इतना ना दबाओ
कि वो मिटने का खौफ ही भूल जाए,
किसी को इतना न चुभाओ,
कि उसके शरीर से खून नहीं,
आक्रोष बहने लगे,
किसी की चुप्पी को बार बार कमज़ोरी न 
समझो कि उसकी वाणी तुम्हारी
धज्जियां उड़ा दे,
किसी की इंसानियत से इतना खिलवाड़
न करो कि वो तुम्हारी हैवानियत
को कच्चा चभा जाए।।
किसी के हालातों का इतना मज़ाक न
बनाओ कि एक दिन
वक्त तुम्हारा मज़ाक बना जाए

©Akhil Kael #Dark