दिन निकल रहे हैं साल बीत गया है लेकिन तुम अब तक सो रहे हो कब अपने सपने पूरे करने पर लगोगे कब तक अपने आप को लज्जित करते रहोगे अब उठ जाओ बहुत सारे लोगों के मुंह बंद करने बाकी है खुद का नाम करना बाकी है खुद की पहचान बाकी है