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आख़िर क्या था उन लम्हों में ऐसा.. जो नजदीकियां इतन

आख़िर क्या था उन लम्हों में ऐसा..
जो नजदीकियां इतनी बढ़ सी गई..
पर अब तो मानो उन एक एक लम्हों की सूई..
मेरे मन में है अब गढ़ सी गई..

अगर लगेगा यारों का मेला जन्नत में..
मैं तुम्हारी और ही भागुँगा..
अगर बाटेगा अल्लाह यार कभी..
हर बार तुम्हें ही मांगूंगा..

#TRIPLING #TRIPLING
आख़िर क्या था उन लम्हों में ऐसा..
जो नजदीकियां इतनी बढ़ सी गई..
पर अब तो मानो उन एक एक लम्हों की सूई..
मेरे मन में है अब गढ़ सी गई..

अगर लगेगा यारों का मेला जन्नत में..
मैं तुम्हारी और ही भागुँगा..
अगर बाटेगा अल्लाह यार कभी..
हर बार तुम्हें ही मांगूंगा..

#TRIPLING #TRIPLING
robonn4661151509226

rob_onn

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