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खुदाया कैद साँसों की जरा सी पैरवी करदे अमाँ इतना न

खुदाया कैद साँसों की जरा सी पैरवी करदे
अमाँ इतना ना पीछा कर कि इनको भी बरी करदे

अमाँ तेरी नजर मे दिल सिकुड़ कर बेजार होने को
अमाँ तू चूम कर इस पर जरा सी इस्तरी करदे

खुदा जिसने बनाया पथरों का ख़ूब जंचता है
मियां इक रोज दिल की बस वही कारीगरी करदे

अगर लौटेगा कोई जो फ़कत बेकार लौटेगा
ये मेरी बात उसके कान में तू आखिरी करदे

कहु क्या सोचता है चौक पर कबसे पड़ा पत्थर
हो कारीगर जो ऐसा आंखें मेरी भोंतरी करदे!! #nojoto # Swetapadma Mishra  Vijay Gautam Mahi
खुदाया कैद साँसों की जरा सी पैरवी करदे
अमाँ इतना ना पीछा कर कि इनको भी बरी करदे

अमाँ तेरी नजर मे दिल सिकुड़ कर बेजार होने को
अमाँ तू चूम कर इस पर जरा सी इस्तरी करदे

खुदा जिसने बनाया पथरों का ख़ूब जंचता है
मियां इक रोज दिल की बस वही कारीगरी करदे

अगर लौटेगा कोई जो फ़कत बेकार लौटेगा
ये मेरी बात उसके कान में तू आखिरी करदे

कहु क्या सोचता है चौक पर कबसे पड़ा पत्थर
हो कारीगर जो ऐसा आंखें मेरी भोंतरी करदे!! #nojoto # Swetapadma Mishra  Vijay Gautam Mahi