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मौसम और लोग अक्सर बदल जाया करते हैं मौसम की तो फित

मौसम और लोग अक्सर बदल जाया करते हैं मौसम की तो फितरत है समझ आता है लेकिन लोगों का क्या कहे? कल तक तुम करीब थे और आज करीब होकर भी दूर नज़र आते हो, दिन रात हफ्ते और ना जाने कब महीना हो गया तुम्हें पता ही नहीं चला फिर खयाल आता है क्या तुमको फर्क पड़ता है मेरे होने या न होने से? या सिर्फ मैं ही इस भ्रम में हूं कि मेरे साथ तुम हो हर वक्त जब भी मुझे तुम्हारी जरूरत है? विरह की ज्वाला अपने चरम पर है और मैं ख़ामोशी से हमारे रिश्ते को उसकी भेंट चढ़ते देख रहा हूं शायद मुझे उम्मीद है तुम कुछ कहोगे या शायद नहीं.........

©Kaushik Ki Kalam #kaushikji #kaushik_poetry #KaushikKiKalam #Kaushik_ki_kalam #Hindi #Thoughts #HeartBreak #Broken
मौसम और लोग अक्सर बदल जाया करते हैं मौसम की तो फितरत है समझ आता है लेकिन लोगों का क्या कहे? कल तक तुम करीब थे और आज करीब होकर भी दूर नज़र आते हो, दिन रात हफ्ते और ना जाने कब महीना हो गया तुम्हें पता ही नहीं चला फिर खयाल आता है क्या तुमको फर्क पड़ता है मेरे होने या न होने से? या सिर्फ मैं ही इस भ्रम में हूं कि मेरे साथ तुम हो हर वक्त जब भी मुझे तुम्हारी जरूरत है? विरह की ज्वाला अपने चरम पर है और मैं ख़ामोशी से हमारे रिश्ते को उसकी भेंट चढ़ते देख रहा हूं शायद मुझे उम्मीद है तुम कुछ कहोगे या शायद नहीं.........

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