वो दोस्त ना जाने कहां गुम हो गया बचपन में जो मेरे संग खेला करता था, जो बारिश में मेरे संग भीगा करता था। ना जाने वो दोस्त कहां गुम हो गया जब मेरे संग गांव की गलियों में खूब खेला करता था, जिसके संग जिंदगी जिया करते थे। ना जाने वो दोस्त कहां गुम हो गया जिसको सब कुछ बता दिया करता था, जिसके संग खूब हंसी ठिठोली किया करता था