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मुझे अज़ीज है वो दोस्त, जो हमारे नाम का आगाज़ है मुझ

मुझे अज़ीज है वो दोस्त,
जो हमारे नाम का आगाज़ है
मुझे अज़ीज़ है वो शहर,
जिसकी हवाओं में गाम साँसों की महक है

मुझे अज़ीज़ है वो रास्ता,
जो मुझे अपने आप तक ले जाता है
मुझे अज़ीज़ है वो फूल,
जिसकी खुशबू कम भी हो
मुहब्बत हो,अपना पन हो
जिसकी काटो की चुभन में तेरा हिज़्र हो

मुझे बेहद अज़ीज़ हैं वो लोग,
जो गाहे बगाहे तेरा मेरा हमारा ज़िक्र करते हैं
मुझे अज़ीज़ हैं वो गज़ले, 
जिनके मिसरे तेरे तस्स्वुर में कहे जाते हो न हो
पर अपनो के बारे में हो

मुझे अज़ीज़ हैं वो शबे हिज़्र ,
जो तेरे मेरे ग़म संग खुशियाँ से शाद होती हो
मैं लड़ूँ तेरे ही  ख़ातिर, 
तू ज़माने से मुसलसल लड़ रहे हो मेरे खातिर ,

बस!मेरे दोस्त पूछा न करो मुझसे ,
कि कैसे मुहब्बत में मैंने ताज(माछ चौमींन) 
बनाया तुम्हारे लिये....माधब।।।। #protest
मुझे अज़ीज है वो दोस्त,
जो हमारे नाम का आगाज़ है
मुझे अज़ीज़ है वो शहर,
जिसकी हवाओं में गाम साँसों की महक है

मुझे अज़ीज़ है वो रास्ता,
जो मुझे अपने आप तक ले जाता है
मुझे अज़ीज़ है वो फूल,
जिसकी खुशबू कम भी हो
मुहब्बत हो,अपना पन हो
जिसकी काटो की चुभन में तेरा हिज़्र हो

मुझे बेहद अज़ीज़ हैं वो लोग,
जो गाहे बगाहे तेरा मेरा हमारा ज़िक्र करते हैं
मुझे अज़ीज़ हैं वो गज़ले, 
जिनके मिसरे तेरे तस्स्वुर में कहे जाते हो न हो
पर अपनो के बारे में हो

मुझे अज़ीज़ हैं वो शबे हिज़्र ,
जो तेरे मेरे ग़म संग खुशियाँ से शाद होती हो
मैं लड़ूँ तेरे ही  ख़ातिर, 
तू ज़माने से मुसलसल लड़ रहे हो मेरे खातिर ,

बस!मेरे दोस्त पूछा न करो मुझसे ,
कि कैसे मुहब्बत में मैंने ताज(माछ चौमींन) 
बनाया तुम्हारे लिये....माधब।।।। #protest