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उनकी यादें भी कमाल की हैं, कम्बख्त यें जब भी आती ह

उनकी यादें भी कमाल की हैं,
कम्बख्त यें जब भी आती हैं आँखो को नम कर जाती हैं।
मेरी निगाहें ढुंढती हैं हर दफा उनको ही
उनसे जब भी मिलती हूँ मैं, 
उस पल को यादगार बना कर आती हूँ ।
जब भी मैं उनको महसूस करती हूँ 
अपने आसपास ही पाती हूँ।
अकेले में जब भी याद उनकी आती हैं,
आँखो को नम कर के ही जाती हैं॥ यादें
उनकी यादें भी कमाल की हैं,
कम्बख्त यें जब भी आती हैं आँखो को नम कर जाती हैं।
मेरी निगाहें ढुंढती हैं हर दफा उनको ही
उनसे जब भी मिलती हूँ मैं, 
उस पल को यादगार बना कर आती हूँ ।
जब भी मैं उनको महसूस करती हूँ 
अपने आसपास ही पाती हूँ।
अकेले में जब भी याद उनकी आती हैं,
आँखो को नम कर के ही जाती हैं॥ यादें

यादें