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क्या सच में हम तुमको भुला बैठे है बहते हुए आँशु को

क्या सच में हम तुमको भुला बैठे है
बहते हुए आँशु को पलकों से छुपा बैठे है

कोई तो बातऐ की क्या भूल हुई हमसे 
हर राज बताया और एक राज छुपा बैठे है

बात सबकी नहीं लाग्जिशे बस उन गुलों की है
जो अपने बगीचे से खुश्बू को छुपा बैठे है

नेको को अच्छे काम पर किस बात का घमंड 
जब सबसे नेक गुनाहगारो को को गले लगा बैठे है

साहिबे लौलक से सैफ इश्क़ ही ऐसा है
इक ग़म को जो पाया तो हर गम को भुला बैठे है

writter✍️-saif raza khan.s imtiaz kazi NEHA NAAZ simran khan Nawzish Khan Faddyyy Khan
क्या सच में हम तुमको भुला बैठे है
बहते हुए आँशु को पलकों से छुपा बैठे है

कोई तो बातऐ की क्या भूल हुई हमसे 
हर राज बताया और एक राज छुपा बैठे है

बात सबकी नहीं लाग्जिशे बस उन गुलों की है
जो अपने बगीचे से खुश्बू को छुपा बैठे है

नेको को अच्छे काम पर किस बात का घमंड 
जब सबसे नेक गुनाहगारो को को गले लगा बैठे है

साहिबे लौलक से सैफ इश्क़ ही ऐसा है
इक ग़म को जो पाया तो हर गम को भुला बैठे है

writter✍️-saif raza khan.s imtiaz kazi NEHA NAAZ simran khan Nawzish Khan Faddyyy Khan
saifkhan5059

saif khan

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